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Citizen Amendment Bill 2019 Will Government Be Able To Clear Bill In Winter Session | सिटिजन अमेंडमेंट बिल पर विरोध के बीच सरकार राज्यसभा में इसे कैसे पास करा पाएगी?

bharatmajha by bharatmajha
December 12, 2020
in राजनीती
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Citizen Amendment Bill 2019 Will Government Be Able To Clear Bill In Winter Session | सिटिजन अमेंडमेंट बिल पर विरोध के बीच सरकार राज्यसभा में इसे कैसे पास करा पाएगी?
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सिटिजन अमेंडमेंट बिल पर विरोध के बीच सरकार राज्यसभा में इसे कैसे पास करा पाएगी?



मौजूदा सरकार के कार्यकाल में संसद के आखिरी सत्र के आखिरी दिन 13 फरवरी ही एकमात्र वो तारीख है जिस दिन सिटिजन अमेंडमेंट बिल पर चर्चा कराकर पास कराया जा सकता है. लोकसभा में बिल पारित होने के बाद राज्यसभा में यह बिल पास होना बाकी है. लेकिन, हो-हंगामे के चलते राज्यसभा में इस बिल पर सरकार आगे नहीं बढ़ पाई है. वजह जो भी हो लेकिन, यह बिल पूरे नॉर्थ-ईस्ट में माहौल का गरमा दिया है. बांग्लादेश से आए घुसपैठियों के मुद्दे पर उनकी पहचान कराने के लिए सरकार की पहल से पक्ष में जो फिजां बनी थी, सिटिजन अमेंडमेंट बिल पर हो रहे विरोध ने उस माहौल को खराब कर दिया है.

दरअसल सिटिजन अमेंडमेंट बिल यानी नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बन जाने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले उन देशों के अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल की बजाय भारत में केवल छह साल रहने और बिना उचित दस्तावेजों के भी देश की नागरिकता मिल सकेगी.

यानी इस बिल में ऐसा प्रावधान है जिसके मुताबिक, बांग्लादेश समेत पड़ोसी राज्यों से आने वाले घुसपैठियों को रोकने की कोशिश तो होगी, लेकिन, पड़ोसी राज्यों में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अगर परेशान होकर आना पड़ा तो उन्हें सिर आंखों पर बिठाया जाएगा. मतलब अधिकतर कार्रवाई अवैध रूप से रह रहे मुस्लिम समाज के लोगों के खिलाफ ही होगी.

असम समेत नॉर्थ-ईस्ट के दूसरे राज्यों में इसी प्रावधान के खिलाफ धरना-प्रदर्शन हो रहा है. विदेशी घुसपैठियों की पहचान और उनके खिलाफ कार्रवाई के बाद बीजेपी और केंद्र की सरकार के पक्ष में जैसा माहौल बना था, उसमें थोड़ी कमी देखने को मिल रही है. क्योंकि नॉर्थ-ईस्ट में लोगों को यह डर सता रहा है कि हिंदू, सिख, जैन जैसे दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के उनके क्षेत्र में बने रहने या बसाने से उनकी संस्कृति पर असर हो सकता है.

हालांकि केंद्र सरकार बार-बार यह समझाने की कोशिश कर रही है कि इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे देशों से आने वाले इन धार्मिक अल्पसंख्यकों को केवल नॉर्थ-ईस्ट में ही बसाने की बात होगी, बल्कि इन्हें देश के दूसरे हिस्सों में भी नागरिकता देने के बाद जगह दी जाएगी.

Parliament

नॉर्थ-ईस्ट के मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में इस बिल के विरोध में धरना-प्रदर्शन काफी तेज हो गया है. मणिपुर की राजधानी इंफाल में प्रदर्शन के चलते जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है. इंफाल के ईस्ट और वेस्ट जिले में एहतियातन 12 फरवरी तक धारा 144 लागू कर दी गई है. साथ ही यहां इंटरनेट सर्विस भी रोक दी गई है.

मणिपुर में पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे पर हिंसा फैल गई थी और यहां तनाव का माहौल है. पुलिस को इस दौरान आक्रोशित महिलाओं की भीड़ पर काबू पाने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े थे.

गृह मंत्री से मिले दो मुख्यमंत्री

सोमवार को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस बिल पर अपना विरोध जताते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी, जिसमें राज्यसभा में इस बिल को पारित नहीं करने की अपील भी की गई थी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों को भरोसा दिलाया है कि नॉर्थ-ईस्ट के मूल निवासी लोगों के अधिकार किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होंगे.

इससे पहले लोकसभा में इस बिल को पेश करते वक्त भी राजनाथ सिंह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन विधेयक के संबंध में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है और असम के कुछ भागों में आशंकाएं पैदा करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा था कि यह विधेयक सिर्फ असम के लिए नहीं है बल्कि ऐसे हजारों लोगों के लिए है जो पश्चिमी सीमा से आकर दिल्ली, गुजरात और अन्य स्थानों पर रह रहे हैं. यह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा. इसके पीछे सोच यह है कि दूसरे देशों में उत्पीड़न के शिकार प्रवासी देश के किसी हिस्से में रह सकें.

भूपेन हजारिका को भारत रत्न मामले में नया मोड़

इस बीच भूपेन हजारिका को भारत रत्न दिए जाने के मामले में आए नए मोड़ ने भी सियासी बेचैनी को और बढ़ा दिया है. भूपेन हजारिका सिनेमा, संगीत और कला के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए मशहूर रहे हैं अब उनके परिवार ने भारत रत्न नहीं लेने का फैसला किया है. नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध के कारण हजारिका के बेटे ने ये घोषणा की है.

bhupen hazarika

भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका का कहना है कि नागरिकता को लेकर एक अलोकप्रिय बिल पास करने की योजना चल रही है. जिसके लिए उनके पिता के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कारण तेज हजारिका ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में भारत रत्न सम्मान लौटाने का निर्णय किया है.

हालांकि फर्स्टपोस्ट से बातचीत करते हुए भूपेन हजारिका के भाई समर हजारिका ने बताया कि उनका परिवार भारत रत्न सम्मान को स्वीकार करेगा. उन्होंने कहा कि तेज हजारिका के बयान का गलत मतलब निकाला गया है. समर हजारिका ने साफ किया है कि भूपेन हजारिका का परिवार भारत रत्न लौटाने की बात नहीं सोच रहा है. उन्होंने तेज हजारिका के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अलोकप्रिय सिटिजन अमेंडमेंट बिल को लेकर उनका बयान था, परिवार भी इस मुद्दे पर तेज के साथ है. लेकिन, सिटिजन अमेंडमेंट बिल और भारत रत्न के मुद्दे को एक कर नहीं देखना चाहिए, दोनों दो मुद्दे हैं.

भूपेन हजारिका के परिवार की तरफ से भले ही इस मुद्दे पर सफाई दी जा रही हो, लेकिन, उनके बेटे और भाई की तरफ से आए बयानों से साफ है कि असम में इस बिल के खिलाफ किस तरह का माहौल है. अब देखना है केंद्र सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल के आखिरी सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में इस बिल को लाकर पास करा पाती है या नहीं, क्योंकि नॉर्थ-ईस्ट में इस बिल पर आगे बढ़ने की उसकी कोशिश में सियासी नफा-नुकसान छिपा है.





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