नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलग-अलग प्रवेश मार्गों पर बैठे किसान सरकार से इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं और भ्रामक खबरे चल रही हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने सोशल नेटवर्किंग साइट्स से भड़काऊ और देशविरोधी पोस्ट और तस्वीरों पर पैनी नजर रखने की बात कही है। इस बीच देश के दो राज्यों ने असामाजिक प्रदर्शनकारियों पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इन राज्यों में सोशल मीडिया पर देश विरोधी या असमाजिक टिप्पणी करने वाले यूजर्स को अब पासपोर्ट या शस्त्र लाइसेंस बनवाने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल, उत्तरांखड और बिहार ने सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ नया नियम बनाया है। जिसके अंतर्गत उत्तराखंड में अब सोशल मीडिया पर कुछ भी देश विरोधी डालने वाले के पासपोर्ट और शस्त्र लाइसेंस नहीं बनाए जाएंगे। इसी तरह बिहार में भी ऐसे लोगों को बैंक लोन लेने, सरकार नौकरी और अन्य सरकार सेवाओं का लाभ उठाने से वंचित रखा जा सकता है। हालांकि दोनों राज्यों में पुलिस प्रमुखों की ओर से जारी आदेशों ने एक नए विवाद जन्म दे दिया। वहीं, दोनों पुलिस महानिदेशकों ने नए नियम को लेकर कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है, यह बस नियमों के मूल ढ़ांचे में मामूली से परिवर्तन है।
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक प्रेस वार्ता के दौरान राज्य के पुलिस प्रमुख अशोक कुमार ने कहा कि अब पुलिस सोशल मीडिया पर देश विरोधी या असामाजिक गतिविधि रखने वालों का डाटाबेस इकठïï्ठा करेगी और जब कोई पासपोर्ट या शस्त्र लाइसेंस के के लिए आवेदन करेगा तो उसका डेटाबेस के आधार पर पुलिस वैरीफिकेशन किया जाएगा। राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह नियम केवल उन लोगों पर ही लागू होगा, जो सोशल मीडिया पर देश विरोधी या देश के अखंडता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाले पोस्ट या कंटेंट डालते हैं।
वहीं, बिहार में भी पुलिस ने होने वाले विभिन्न प्रदर्शनों पर भी पैनी नजर रखनी शुरू कर दी है। यहां बिहार डीजीपी एसके सिंघल ने 9 सेवाओं में स्पेशल पुलिस वैरीफिकेशन करने के आदेश दिए हैं। जिनमें सरकारी नौकरी, सरकारी योजनाओं के ठेके, शस्त्र लाइसेंस, पासपोर्ट, चरित्र प्रमाण पत्र, पेट्रोल पंप या गैस एजेंसियों के लाइसेंस व बैंक लोन आदि को शामिल किया गया है। दोनों राज्यों में जारी आदेश के बाद उपजे विवाद के बीच दोनों पुलिस प्रमुखों ने कहा कि उन्होंने नियमों को बदलाव नहीं किया है, बस उनको सख्ती के साथ लागू किया है।